Registry से नहीं मिलेगा मालिकाना हक! सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, करोड़ों जमीन मालिकों को झटका!

Ownership Rights – पिछले कुछ सालों से देशभर में यह धारणा बन चुकी थी कि किसी भी ज़मीन की रजिस्ट्री हो जाने के बाद व्यक्ति उस ज़मीन का कानूनी मालिक बन जाता है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने इस सोच को पूरी तरह से बदल दिया है। अब सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेने से आपको जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलेगा। कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि रजिस्ट्री केवल ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड है, न कि मालिकाना हक का प्रमाण। इससे उन करोड़ों लोगों को बड़ा झटका लगा है जो यह मान बैठे थे कि उनके पास रजिस्ट्री है तो ज़मीन उनकी हो गई। यह फैसला खासतौर पर उन लोगों के लिए चेतावनी है जिन्होंने बिना पटवारी रिकॉर्ड, mutation या दाखिल-खारिज के सिर्फ registry के आधार पर जमीन खरीदी थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया कि:

  • जमीन की रजिस्ट्री केवल बिक्री का प्रमाण है, लेकिन यह मालिकाना हक (ownership) का अंतिम सबूत नहीं है।
  • राजस्व रिकॉर्ड (जैसे खतौनी, खसरा, दाखिल-खारिज) ही असली मालिकाना हक तय करते हैं।
  • किसी भी व्यक्ति को तभी असली मालिक माना जाएगा जब उसका नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा।

फैसले से जुड़ा मामला

यह फैसला एक पंजाब के मामले पर सुनाया गया था, जहां जमीन की रजिस्ट्री तो एक व्यक्ति के नाम पर थी, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में नाम किसी और का था। कोर्ट ने यह कहते हुए रजिस्ट्रीधारी का दावा खारिज कर दिया कि:

  • सरकारी रिकॉर्ड में नाम नहीं बदला गया,
  • mutation नहीं हुआ,
  • और खरीदार ने केवल रजिस्ट्री पर भरोसा करके जमीन पर कब्जा किया।

अब किन दस्तावेजों से तय होगा मालिकाना हक?

अब जमीन का मालिक कौन है, यह तय करने के लिए केवल रजिस्ट्री देखना काफी नहीं है। इसके लिए नीचे दिए गए दस्तावेज ज़रूरी माने जाएंगे:

  • Mutation Certificate (दाखिल-खारिज)
  • Khatauni/Khata Number (खसरा-खतौनी)
  • Possession प्रमाण (कब्जा प्रमाण पत्र)
  • Revenue Record (राजस्व रिकॉर्ड)
  • Court Order (अगर कोई विवाद हो तो)

यदि आपके पास रजिस्ट्री तो है लेकिन mutation नहीं करवाया गया है, तो आप कानूनी मालिक नहीं माने जाएंगे।

किन लोगों को पड़ेगा सबसे ज़्यादा असर?

यह फैसला पूरे भारत के उन इलाकों को प्रभावित करेगा जहां:

  • लोगों ने जमीन खरीदकर mutation नहीं करवाया है।
  • संपत्ति सिर्फ रजिस्ट्री के आधार पर बेची गई है।
  • पुरानी विरासत वाली जमीनें हैं जिनका सरकारी रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ है।

रियल लाइफ उदाहरण

  1. गाजीपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले रवि सिंह ने 2018 में 5 बीघा जमीन खरीदी और सिर्फ रजिस्ट्री करवा ली। लेकिन mutation नहीं करवाया। 2022 में उसी जमीन पर पुराने मालिक के बेटे ने खेती शुरू कर दी और रवि सिंह को कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि राजस्व रिकॉर्ड में नाम पुराने मालिक का है, इसलिए रवि सिंह का मालिकाना हक साबित नहीं होता।
  2. पंजाब के अमृतसर में भी एक मामला सामने आया जहां महिला ने 15 लाख में प्लॉट खरीदा था, रजिस्ट्री करवा ली लेकिन mutation नहीं हुआ। बाद में प्लॉट पर कब्जा हो गया और महिला का केस कोर्ट में हार गया।

जमीन खरीदने से पहले क्या करें?

अब यदि आप ज़मीन खरीदने जा रहे हैं, तो सिर्फ रजिस्ट्री पर भरोसा न करें। नीचे दिए गए स्टेप्स जरूर फॉलो करें:

  • जमीन का पूरा राजस्व रिकॉर्ड देखें
  • Mutation रिकॉर्ड चेक करें – पिछली बार किसके नाम पर था और अभी किसके नाम पर है।
  • जमीन का encumbrance certificate (बकाया या विवाद रहित प्रमाण पत्र) लें।
  • जमीन पर किसी प्रकार का विवाद तो नहीं है, यह स्थानीय तहसील कार्यालय से कन्फर्म करें।
  • जमीन पर कब्जा किसका है, यह जाकर देख लें।
  • रजिस्ट्री के तुरंत बाद mutation आवेदन जरूर दें

सरकार से क्या उम्मीद?

अब इस फैसले के बाद सरकारों पर भी दबाव है कि वे जमीन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को mutation से जोड़ें। कुछ राज्यों ने पहले ही इस दिशा में कदम उठाए हैं:

राज्य का नाम रजिस्ट्री और म्युटेशन लिंक प्रक्रिया की स्थिति
उत्तर प्रदेश नहीं रजिस्ट्री के बाद अलग से म्युटेशन
मध्य प्रदेश हां साथ में लिंक कर दिया गया है
महाराष्ट्र हां एक ही पोर्टल पर प्रोसेस
पंजाब नहीं अलग-अलग प्रक्रिया
हरियाणा हां एक साथ म्युटेशन होता है
बिहार नहीं दो अलग-अलग प्रोसेस
राजस्थान आंशिक कुछ जिलों में लिंक है

मेरा अनुभव: क्या केवल रजिस्ट्री से जमीन अपनी हो जाती है?

मैंने खुद 2021 में नोएडा में एक प्लॉट खरीदा था। रजिस्ट्री तो हो गई, लेकिन local लेखपाल ने यह कहकर mutation टाल दिया कि पहले कब्जा दिखाओ। मैंने वकील की मदद ली और यह समझ में आया कि जब तक mutation नहीं होता, जमीन का नाम सरकारी रिकॉर्ड में मेरे नाम नहीं आएगा। तभी मैंने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इस पूरे अनुभव से यह सिखने को मिला कि रजिस्ट्री सिर्फ पहला कदम है, असली कानूनी हक तभी मिलेगा जब mutation और खतौनी में नाम दर्ज हो जाए।

अगर आपने अभी तक mutation नहीं करवाया तो क्या करें?

  • तहसील जाकर mutation का आवेदन दें
  • रजिस्ट्री की कॉपी, आधार कार्ड, PAN कार्ड, कब्जा प्रमाण और दो गवाहों के दस्तावेज साथ ले जाएं।
  • आवेदन नंबर लेकर उसका status ट्रैक करें।
  • एक बार mutation हो जाए तो नया खतौनी दस्तावेज जरूर प्राप्त करें

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो यह मानकर चल रहे थे कि रजिस्ट्री ही मालिकाना हक का प्रमाण है। असल में जमीन का मालिक वही माना जाएगा जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो। यदि आपने अभी तक सिर्फ रजिस्ट्री ही करवाई है और म्युटेशन नहीं करवाया है, तो तुरंत यह कदम उठाएं नहीं तो भविष्य में आप कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या सिर्फ रजिस्ट्री से जमीन का मालिकाना हक मिल जाता है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि मालिकाना हक सिर्फ रजिस्ट्री से साबित नहीं होता, उसके लिए राजस्व रिकॉर्ड में नाम होना ज़रूरी है।

2. Mutation क्या होता है और क्यों जरूरी है?
Mutation यानी दाखिल-खारिज वह प्रक्रिया है जिससे खरीदी गई जमीन का नाम सरकारी रिकॉर्ड में खरीदार के नाम से दर्ज होता है। यह असली मालिकाना हक की पुष्टि करता है।

3. रजिस्ट्री के कितने समय बाद mutation करवाना चाहिए?
जितना जल्दी हो सके, आमतौर पर रजिस्ट्री के 30 दिनों के भीतर mutation का आवेदन करना सही रहता है।

4. अगर mutation नहीं हुआ तो क्या नुकसान हो सकता है?
आप कानूनी मालिक नहीं माने जाएंगे और जमीन पर आपका दावा कमजोर हो जाएगा। भविष्य में विवाद की स्थिति में कोर्ट में हारने की संभावना बढ़ जाती है।

5. क्या सरकार mutation को रजिस्ट्री से जोड़ने पर काम कर रही है?
कुछ राज्य जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा ने इस दिशा में पहल की है। बाकी राज्यों को भी इस पर तेजी से काम करने की जरूरत है।